नई दिल्ली,
गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी अकादमी, दिल्ली सरकार के तत्वावधान में 7 एवं 8 सितम्बर 2025 को संस्कृत अकादमी सभागार, झण्डेवालान में दो दिवसीय अखिल भारतीय गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी भाषा सम्मेलन का सफल आयोजन किया गया।
इस सम्मेलन में दिल्ली, एनसीआर व उत्तराखण्ड से बड़ी संख्या में साहित्यकारों और भाषाविदों ने प्रतिभाग किया। आयोजन में भाषा, साहित्य, संस्कृति, मानकीकरण, नई शिक्षा नीति, रोजगार की संभावनाएँ, आठवीं अनुसूची में स्थान, मातृभाषा और नई पीढ़ी, कविता, गीत-ग़ज़ल, गद्य लेखन, फिल्म, रंगमंच और सोशल मीडिया की भूमिका जैसे विविध विषयों पर गहन चर्चा हुई।
अकादमी के सचिव श्री संजय गर्ग ने कहा कि अकादमी सदैव उत्तराखण्ड की भाषाओं और संस्कृति को दिल्ली-एनसीआर में पहचान दिलाने के लिए कार्य करती रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में भी अकादमी सकारात्मक व ठोस कदम उठाती रहेगी।
सुप्रसिद्ध समाजसेवी व उद्यमी डॉ. विनोद बछेती ने अकादमी की सराहना करते हुए कहा कि सचिव श्री संजय गर्ग का गढ़वाली, कुमाउनी व जौनसारी भाषाओं के प्रति समर्पण अनुकरणीय है। उन्होंने विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता और भाषा एवं संस्कृति मंत्री श्री कपिल मिश्रा के नेतृत्व में अकादमी और सशक्त भूमिका निभाएगी।
सम्मेलन में वरिष्ठ साहित्यकारों और भाषाविदों— ललित केशवान, पूरन चन्द्र कांडपाल, रमेश घिल्डियाल, लोकेश नवानी, गिरीश विष्ट हंसमुख, दीनदयाल बंदूणी, दिनेश ध्यानी, चन्दन प्रेमी, रमाकांत बेंजवाल, बीना बेंजवाल, मदन मोहन डुकलाण, डॉ. नंदकिशोर हटवाल, मोहन चंद्र जोशी, डॉ. जगदम्बा कोटनाला, डॉ. हेमा उनियाल, शांति प्रकाश जिज्ञासु, डॉ. हयात सिंह रावत, डॉ. सरस्वती कोहली, पृथ्वीसिंह केदारखण्डी, रमेश हितैषी, डॉ. मनोज उप्रेती, जगमोहन सिंह जगमोरा, ओमप्रकाश आर्य, राघव शर्मा, पायश पोखड़ा, दर्शन सिंह रावत, जयपाल सिंह रावत, प्रदीप रावत खुदेड़, निर्मला नेगी, आशीष सुन्द्रियाल, खजानदत्त शर्मा, मञ्जूषा जोशी, रोशन लाल सहित अनेक विद्वानों ने भाग लिया और अपने विचार रखे।
सम्मेलन के दौरान संयोजक श्री दिनेश ध्यानी ने चार प्रस्ताव प्रस्तुत किए, जिन्हें ध्वनिमत से पारित किया गया।
1. उत्तराखण्ड विधानसभा द्वारा प्रस्ताव पारित कर गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग।
2. उत्तराखण्ड में गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी सहित अन्य सह-भाषाओं के संरक्षण हेतु अलग-अलग भाषा अकादमियों की स्थापना।
3. भारत सरकार से गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की पुनः मांग।
4. इस सम्बन्ध में उत्तराखण्ड व भारत सरकार को ज्ञापन सौंपने का निर्णय।
कार्यक्रम का संचालन श्री दिनेश ध्यानी ने किया तथा सत्रों के सह-संचालन में श्री शांति प्रकाश जिज्ञासु, श्री रमेश हितैषी, श्री आशीष सुंदरियाल व डॉ. पृथ्वी सिंह केदारखण्डी ने सहयोग दिया।
यह दो दिवसीय आयोजन गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी भाषाओं की राष्ट्रीय पहचान, संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ।